जनविरोधी
राष्ट्
विरोधी नीतियों के खिलाफ दिल्ली में होगा किसानों के साथ सीटू का प्रदर्शन
सीटू के सैकड़ों कार्यकर्ता
दिल्ली रवाना
रामलीला
मैदान से संसद मार्ग तक 5 लाख लोग करेंगे मार्च
वेतन समझौता पर रोक सहित सरकार की अन्य जनविरोधी नीतियों के खिलाफ सीटू
द्वारा चलाए जा रहे हैं संघर्ष की श्रंखला की अगली कड़ी में 5 सितंबर
को सीटू और किसान सभा के 5 लाख से ज्यादा लोग दिल्ली में
राम लीला मैदान से मार्च
निकालकर संसद भवन के सामने प्रदर्शन करेंगे ।
निरंतर
चल रहा है सीटू का संघर्ष ; 9 अगस्त को भिलाई में 238
लोगों ने दी थी गिरफ्तारी
सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ सीटू का संघर्ष निरंतर जारी है | अपने
उद्योग और कर्मियों तथा आम जनता के हितों की रक्षा के लिए सीटू द्वारा लगातार अभियान चलाया जा रहा है | स्थानीय
स्तर पर कन्वेंशन, प्रदर्शन, परिवार
सहित धरना, दिल्ली के जंतर मंतर पर एक दिवसीय धरना;
9,10 एवं 11 नवंबर 2017 को
संसद के सामने महापड़ाव का आयोजन,| 9 अगस्त 2018 को देशभर में सामूहिक गिरफ्तारी, स्वतंत्रता दिवस की पूर्ण रात्रि
14 अगस्त को सामूहिक जागरण के पश्चात अब 5 सितंबर को दिल्ली में किसानों के साथ मिलकर प्रदर्शन ।छत्तीसगढ़ के पूर्व
राज्यपाल स्व. बलराम दास जी टंडन के आकस्मिक निधन के कारण छत्तीसगढ़ में सामूहिक
जागरण के कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था | भिलाई में यह
कार्यक्रम अब भगत सिंह जयन्ती के अवसर पर 28 सितम्बर
2018 को होगा |
नीतियों
के आक्रमण और आम जनता के शोषण पर एक नजर
1.
इस्पात उद्योग पर संकट- लागत मूल्य से कम कीमत
पर इस्पात का आयत, उच्च परिवहन शुल्क, उच्च बिजली दर,
विभिन्न प्रकार के उपकर, भारत में इस्पात की निम्न प्रति व्यक्ति खपत(62कि.ग्रा.प्रति
व्यक्ति प्रति वर्ष ) के कारण इस्पात उद्योग संकट में है |
2.
वेतन समझौता में बाधा- प्रधानमंत्री
कैबिनेट द्वारा DPE के माध्यम से जारी सार्वजनिक उपक्रमों के वेतन समझौता करने के जारी निर्देश
·
विगत 3 वर्षों में
लाभ अर्जित करना आवश्यक है ।
·
3 वर्षों के पश्चात समझौते की समीक्षा कर लाभ ना होने पर
वेतन की वसूली (Recovery)
·
वेतन वृद्धि की अधिकतम सीमा विगत 3 वर्षों
के औसत लाभ का 20% होगी ।
·
सेल पेंशन योजना पर 4 वर्ष
पूर्व हुए समझौते को लागू करने के लिए लाभ कमाने की योजना प्रस्तुत करनी है।
3.
दवाओं की मूल्य वृद्धि - सूचीबद्ध दवाओं को
140 से घटाकर 70 कर दवा निर्माताओं को
अकूत मुनाफा कमाने की छूट दी गयी । गैर सूचीबद्ध दवाओं में
शामिल जीवन रक्षक दवाएं मूल्य नियंत्रण से बाहर है।
4.
योजना आयोग को भंग कर NITI आयोग
का गठन- सरकार ने भारत रूपांतरण के नाम पर योजना आयोग को भंग कर
नीति आयोग का गठन किया और 74 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों
को विनिवेशीकरण बेचने का निर्णय लिया । सेल की टाउनशिप तथा विशेष इस्पात संयंत्र
के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू ।
5.
PPP मॉडल एक साजिश- सार्वजनिक निजी
भागीदारी के तहत सरकारी उपक्रमों सहित अस्पताल आदि में सरकार पूँजी निवेश करके, प्रबंधन निजी हाथों को सौंप रही है ।
6.
निजी मेडिकल कॉलेज खोलने की अनुमति- सस्ती भूमि और
रियायतें देकर नीति आयोग द्वारा निजी कारोबारियों को मेडिकल कॉलेज खोलने
प्रोत्साहन दिया जा रहा है ।
7.
भारतीय चिकित्सा परिषद(MCI) के
स्थान पर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग – का गठन प्रस्तावित है
जिसका उद्देश्य जनता के स्वास्थ्य के लिए उचित चिकित्सा पद्धत्ति सुनिश्चित करने
वाली इस संस्था में निजी कारोबारियों के चहेतों को नामित किया जा सके ।
8.
भविष्य निधि – भविष्य निधि के बाद अब
ई.एस.आई. और श्रमिक कल्याण कोष को भी शेयर बाजार निवेश किया जाएगा
9.
ठेका कर्मियों का अमानवीय शोषण- न्यूनतम मजदूरी
अधिनियम, बोनस भुगतान अधिनियम, भविष्य
निधि कानून, साप्ताहिक अवकाश अधिनियम, समान
कार्य के लिए समान वेतन जैसे वर्तमान श्रम कानूनों का सही अनुपालन नहीं होने से
ठेका कर्मी पहले से ही अमानवीय शोषण के शिकार है। आउटसोर्सिंग के बाद अब वे ठेका
कर्मी नहीं रह पाएंगे और सभी कानूनी अधिकारों से वंचित हो जाएंगे ।
10.
Fixed term employment (निश्चित अवधि
रोजगार) – नियमित रोजगार को खत्म
करने के लिए निश्चित अवधि रोजगार लाया जा रहा है ताकि पूर्व निर्धारित अवधि के
पश्चात बिना किसी मुआवजे के नौकरी से हटाया जा सके ।
11.
किसानों को नहीं मिल रहा अपनी उपज का
समर्थन मूल्य - स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार किसानों को उनकी उपज के लागत मूल्य
का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने की चुनाव पूर्व घोषणा पर सरकार मौन है ।
12.
बीमा आधारित योजनाएं- फसल बीमा योजना तथा
स्वास्थ्य योजनाएं वास्तव में बीमा आधारित योजनाएं हैं जिससे निजी बीमा कंपनियों
ने भारी मुनाफा कमाया है और किसानों की आत्महत्या जा रही है
13.
बैंक संकट- बड़े ऋणधारियों द्वारा
ऋण नहीं चुकाने से बैंक कर्मियों का वेतन समझौता रुका | IDBI बैक
के शेयर को LIC को खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है |
14.
नोटबन्दी – कालेधन पर प्रहार के
नाम पर की गयी नोट्बंदी वास्तव में आम जनता की रोजी-रोटी पर हमला था |यह बात
हाल ही में जारी हुयी रेज़र्व बैंक की ताजा रिपोर्ट से स्पष्ट हो गयी |
15.
जीएसटी – सरकार द्वारा जीएसटी के
माध्यम से आम जनता पर कर का बोझ थोपने के उदाहरण है पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी
से बाहर रखकर एवं दवाओं को जीएसटी के दायरे में रखना |
नीतियों से पीड़ित समाज
का हर तबका कर रहा है संघर्ष
उक्त नीतियां सरकार द्वारा बड़े पैमाने
पर लागू की जा रही जनविरोधी नीतियों मे से कुछ उदाहरण है जिससे समाज का हर तबका
पीड़ित है। समाज के हर तबके की आजीविका पर नीतियों का हमला हो रहा है अपनी आजीविका
बचाने के लिए किसान सफाई कर्मी शिक्षाकर्मी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आशा बहनों बैंक
कर्मी BSNL के कर्मी ग्रामीण डाकघर में विभिन्न उद्योग के कर्मचारी
परिवहन कर्मचारी यहां तक कि पुलिस कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों को भी सड़क पर
उतरना पड़ रहा है ।
जनहित में बनानी होगी
नीतियाँ
बड़े कारपोरेटर घरानों को करों में दी गई
छूट वापस ली जाए , बैंको में रखे जनता के पैसों की लूट पर रोक लगे, स्थायी कार्यों का ठेकाकरण बंद हो, समान
कार्य के लिए समान वेतन मिले, किसानों
को उनकी उपज का उचित मूल्य मिले,सार्वजानिक उपक्रमों के
निजीकरण पर रोक लगे, सभी नागरिको के लिए खाद्य सुरक्षा,
चिकित्सा, शिक्षा,पेयजल
व आवास सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध
कराया जाए |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें