शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017

“निजीकरण का विरोध क्यों ?” पुस्तिका विमोचित

सीटू ने दी बाबा साहब को श्रद्धांजलि – धनराज इलमकर
सीटू कार्यालय सेक्टर 4 में आज बाबा साहब भीम राव अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी गयी | कार्यक्रम में एस.पी.डे , एम्.एस.शांतकुमार, रुखम सिंह तारम, वेणुगोपाल, रविशंकर, टी.जोगाराव, सविता कुमारी,एस.एस.के.पनिकर, अनिल शेखर, अली अकबर, धनराज इलमकर, केवेंद्र सुन्दर, डी.आर.साहू, आर.के.हिरवानी, माल्कोंडाया, गुमान सिंह, .ए.पी.पटेल आदि  मौजूद रहे | 
“निजीकरण का विरोध क्यों ?”  पुस्तिका विमोचित – टी .जोगाराव
सीटू के संगठन सचिव श्री टी.जोगाराव ने बताया कि इस अवसर पर स्टील वर्कर्स फेडरेशन के द्वारा प्रकाशित तथा राष्ट्रिय महासचिव पी.के.दास द्वारा रचित पुस्तिका  “निजीकरण का विरोध क्यों ?”  का हिंदी संस्करण विमोचित किया गया | इस पुस्तिका में विस्तार से  निजीकरण से राष्ट्र को होने वाले नुक्सान के साथ सामाजिक तथा आर्थिक दुष्परिणामों पर सारगर्भित विवेचन किया गया है | श्री पी.के. दास लगभग आधे दशक से इस्पात उद्योग से जुडी समस्याओं को विभिन्न मंचों पर उठाते रहे हैं इसलिए उनकी पैनी नजर से निजीकरण का कोई भी दुष्प्रभाव बच नहीं पाया है | सभी लोगों को इस आँखे खोलने वाली पुस्तिका का अध्ययन करना चाहिए | यह पुस्तिका हिन्दुस्तान स्टील एम्प्लाइज यूनियन, सीटू, की वेब साईट  www.hseubhilai.blogspot.com पर उपलब्ध है |
नीति निदेशक सिद्धांतों की धज्जियां उड़ाई  – एस.पी.डे
संविधान के नीति निदेशक सिद्धांतों की धज्जियां उड़ाकर पिछले २० वर्षों से केन्द्र की सरकारें ऐसी नीतियां पूरे राष्ट्र पर थोप रहे हैं जो मुठ्ठी भर लोगों को देश के संसाधनों का अंधाधुंध दोहन कर अकूत धन कमाने की छूट दे रही है | इसके दूसरी ओर कीमतों में बेतहाशा वृद्धि, ब्याज दरों में कटौती, औद्योगिक मंदी, कर्मचारियों के  अधिकार छीनने श्रम कानूनों में संशोधन,  हजारों कारखानों की तालाबंदी, करों, उपकारों, टोल करों में भारी वृद्धि, ठेकाकरण एवं आउटसोर्सिंग द्वारा  बड़े पैमाने पर स्थायी कर्मचारियों के बदले अत्यंत अल्प वेतन पर ठेका श्रमिकों की नियुक्ति, स्वास्थ्य सेवाओं  और शिक्षा की उच्च लागत, निर्बाध आयात, निर्यात में कमी , हमारे अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का  प्रवेश आदि ने  हमारे देश की अर्थव्यवस्था को पतन के कगार पर पहुंचा दिया है ।
सार्वजनिक क्षेत्र  के उपक्रमों को बेचना विशवासघात है – अनिल शेखर
पिछले 40 वर्षों में सरकार ने पीएसयू  में कुल 1,13,783 करोड़ रुपये का निवेश किया है जिसके बदले में पीएसयू से राष्ट्र को रु, 5,07,698 करोड़ प्राप्त हो चुके हैं तथा कुल 3,57,784 करोड़ रुपये की संपत्तियां हैं जिसे मिलाकर वर्ष 1991 से वर्ष 2013 तक  केवल 12 वर्शोन  में कुल रु  8, 65, 482 करोड़ का योगदान देश को हुआ है | 1991 से 2016 तक, 25 वर्षों में, कई लाभकारी सार्वजनिक उपक्रमों के बेचे जाने के बावजूद, राष्ट्र ने सार्वजनिक उपक्रमों से 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त किया। अब, सरकार सभी सार्वजनिक उपक्रमों को विक्रय कर 90,000 रूपए प्राप्त करना चाहती हैं ।

एस.पी.डे