दो लाख लोगों को नहीं
मिलेगा इलाज – सीटू
सेक्टर 9 हॉस्पिटल का ब्लड बैंक निलंबित होने से पूरे क्षेत्र में विशेष रूप से
संयंत्र कर्मियों के लिए गंभीर समस्या खड़ी हो जाएगी | 840 बेड
वाले इस अस्पताल में भिलाई इस्पात संयंत्र में काम करने वाले लगभग 25000 श्रमिक तथा उनके आश्रितों तथा सेवानिवृत्त कर्मियों को मिलाकर दो लाख लोग
इलाज करवाते हैं | इन सारे मरीजों को किसी ने किसी बीमारी या दुर्घटना के इलाज के
लिए रक्त की जरूरत होती है | पूरे
छत्तीसगढ़ में सबसे बढ़िया उत्कृष्ट सुविधा से युक्त ब्लड बैंक सेक्टर 9 अस्पताल में ही स्थापित है, जिसे
अज्ञात कारणों से निलंबित करने का आदेश आने की आशंका है | निलंबन की स्थिति में
डेढ़ लाख लोगों का इलाज प्रभावित हो जाएगा |
संक्रमण को नहीं दस्तावेज
के लिए किया जा रहा निलंबन
प्राप्त सूचना के अनुसार यह आदेश धारा 122 के
तहत निकाला गया है | जिसके अनुसार बचे हुए
रक्त या उपयोगिता की समय सीमा समाप्त होने के बाद बचे हुए रक्त के दस्तावेजों के
संबंध में अनियमितता को आधार बनाया गया है | ज्ञातव्य हो कि इस प्रकार की सूचना
किसी भी ब्लड बैंक में उपलब्ध होने की जानकारी नहीं मिली है |
राज्य तथा केंद्र समिति
के अनुशंषा से ब्लड बैंक का लाइसेंस अगस्त 17 में हुआ था रिन्यू
राज्य तथा केंद्र सरकार की दो समितियों
की जांच तथा अनुशंसा के बाद सेक्टर 9 हॉस्पिटल
ब्लड बैंक का लाइसेंस अगस्त 2017 में रिन्यू किया गया था |
इस दौरान इस प्रकार के किसी दस्तावेज की न तो मांग की गयी थी और ना ही दस्तावेजों
पर किसी प्रकार की कोई आपत्ति की गयी थी | इस मामले को तूल देकर भिलाई इस्पात
संयंत्र के सर्वसुविधायुक्त अस्पताल में से ब्लड बैंक की सुविधा को खत्म करने की
साजिश के पीछे बड़ी बड़ी राजनीतिक शक्तियों के लगे होने की आशंका जताई जा रही है |
संयंत्र कर्मियों को होगा
100 करोड़ का आर्थिक नुक्सान
इस ब्लड बैंक के बंद होने से
निराधार हो जाने वाले लाखों संयंत्र कर्मियों और उनके परिवार के आश्रितों को अपने
इलाज के लिए अपनी जेब से पैसा खर्च करना पड़ेगा | औसतन हर संयंत्र कर्मी के परिवार
के सदस्यों को इलाज या किसी अन्य कारणों से अस्पताल की सेवाएं लेनी पड़ती है इस
आधार पर अगर प्रति व्यक्ति औसत खर्चा ₹5000 भी
लगाया जाए तो 100 करोड रुपए का आर्थिक नुकसान संयंत्र
कर्मियों तथा उनके आश्रितों को होने वाला है |
निजी अस्पतालों को होगा
100 करोड़ का फायदा
यह पूरा का पूरा ₹100 करोड़ निजी अस्पतालों में जाएगा | भिलाई इस्पात संयंत्र के आसपास के
क्षेत्र में बने हुए अस्पताल आज अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं | उनमें से
कई अस्पतालों को बेचा जा चुका है | निजी अस्पताल भिलाई इस्पात संयंत्र में संचालित
होने वाले सेक्टर 9 अस्पताल की गुणवत्ता को अपना सबसे बड़ा
दुश्मन मानते हैं | उनके लिए यहां पर इलाज कराने वाले कर्मियों और उनके आश्रितों
के रूप में एक बड़ा बाजार उपलब्ध है |वे इसपर नजर लगाए हुए हैं और उनकी जेब से पैसा
निकालने की तकनीक खोज रहे हैं | इसी के तहत एक अजीब से कारण को आधार बनाकर भिलाई
इस्पात संयंत्र के ब्लड बैंक को निलंबित किया गया है |
छत्तीसगढ़ में संक्रमण के
कुल 536 से ज्यादा मामले किसी ब्लड बैंक पर
नहीं हुई कार्यवाही
छत्तीसगढ़ में HIV
तथा इसी प्रकार के संक्रमण के 536 मामले पूरे
छत्तीसगढ़ के अलग-अलग ब्लड बैंक में सामने आ चुके हैं | इनमे से किसी भी ब्लड बैंक
की जांच की बात सामने नहीं आई है | यहाँ तक कि किसी एक भी ब्लड बैंक का लाइसेंस निलंबित
नहीं हुआ है|
मामला दो साल पुराना :
जांच में नहीं मिले पुख्ता तथ्य
इस पूरे प्रकरण में जो दुखद घटना
घटित हुई वह सन 2015 में हुई थी और 2015 से लेकर 2017 तक के बीच में किस किस स्थान पर
संबंधित मरीजों ने रक्त चढ़ाया या किसी प्रकार की इंजेक्शन की उपयोग किया है यह भी
ज्ञात नहीं है और संक्रमण की संभावना और जगहों से होने की बात पर किसी प्रकार के
दस्तावेजी प्रमाण उपलब्ध नहीं है | रक्तदाता के रक्तदान के समय संक्रमित होने के
भी कोई प्रमाण नहीं हैं | इन सबके बावजूद केवल इस आधार पर ब्लड बैंक का निलंबन
किया जाना किसी तरह से गले नहीं उतरता है |
दो महीने के विंडो पीरियड
में नहीं होती पुष्टि
रक्त संक्रमण का एक विंडो पीरियड
होता है | यह एक से तीन महीने तक का हो सकता है | इस विंडो पीरियड में HIV
तथा इसी प्रकार के संक्रमण संक्रमण की पुष्टि नहीं हो पाती है यह
सभी ब्लड बैंकों में दस्तावेजी रूप में उपलब्ध होता है | दुर्भाग्यवश जब ऐसा रक्त
जिसमे संक्रमण की पहचान नहीं हो पाई हो किसी पीड़ित मरीज के शरीर में चढ़ाया जाता
है तो संबंधित डॉक्टर या ब्लड बैंक दोनों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि यह
संक्रमित है और ना ही उस जानकारी को प्राप्त करने का कोई माध्यम है कि यह ब्लड
संक्रमित है | ऐसी स्थिति में डॉक्टर के द्वारा या ब्लड बैंक के द्वारा उस रक्त को
मरीज के लिए जीवन रक्षक के रूप में उपलब्ध कराया जाना स्वाभाविक है |
विंडो पीरियड में
संक्रमित रक्त की पहचान सम्भव नहीं
पूरे छत्तीसगढ़ में किसी भी ब्लड
बैंक में यह सुविधा उपलब्ध नहीं है कि विंडो पीरियड में संक्रमित रक्त की पहचान की
जा सके | ऐसी स्थिति में अगर भिलाई इस्पात संयंत्र में स्थित सेक्टर 9 हॉस्पिटल का ब्लड बैंक निलंबित किए जाने की स्थिति में है तो पूरे
छत्तीसगढ़ में कोई भी ब्लड बैंक इस आवश्यकता को पूरा नहीं करता है | अतः सारे ब्लड
बैंक इस तथ्य के आधार पर निलंबित किए जाने की स्थिति में है, लेकिन उन सारे ब्लड
बैंकों पर कोई कार्यवाही न करते हुए केवल सेक्टर 9 के ब्लड
बैंक पर कार्यवाही किया जाना कई प्रकार के संदेह को जन्म देता है |
संयंत्र में बड़ी दुर्घटना
हुई तो इलाज के अभाव में बेमौत मरेंगे संयंत्र कर्मी
भिलाई इस्पात संयंत्र एक बेहद
संवेदनशील जगह है, जहां पर विभिन्न प्रकार की दुर्घटनाएं होती रहती हैं | जिनमें
स्थाई तथा अस्थाई दोनों प्रकार के श्रमिकों के घायल होने की संभावना रहती है | ऐसे
किसी भी घायल श्रमिक को तत्काल सेक्टर 9 अस्पताल में पहुंचाया
जाता है और वहां उपलब्ध ब्लड बैंक से तत्काल रक्त की उपलब्धता हो जाती है जिसके
चलते उनकी जान बच सकती है |
ब्लड बैंक बंद हुआ तो
कर्मियों के परिवार हो जायेंगे कंगाल
लेकिन अगर ब्लड बैंक बंद हो गया तो ऐसी
स्थिति में न तो उसे सेक्टर 9 अस्पताल में भर्ती किया जा सकेगा और
ना ही उसका इलाज संभव हो सकेगा | उसे चंदूलाल चंद्राकर हॉस्पिटल में भेजना पड़ेगा
जहां पर उपलब्ध ब्लड बैंक में इतनी बड़ी मात्रा में ब्लड उपलब्ध नहीं रहता है या
फिर उसे दुर्ग स्थित सरकारी अस्पताल में भेजना पड़ेगा या सुपेला के सरकारी अस्पताल
में भेजना पड़ेगा जहां पर ब्लड प्रदान करने की तथा इस प्रकार की दुर्घटनाओं के लिए
विशेषज्ञों की उपलब्धता 24 घंटे नहीं हो पाती है | ऐसी
स्थिति में संयंत्र कर्मी बेमौत मारा जाएगा | उसके बचने की संभावनाएं तो कम होगी ही साथ में
उसका मेडिकल बिल जो कि लाखों में भी हो सकता है उस कर्मचारी के परिवार को देना पड़
सकता है | ऐसी स्थिति में भिलाई इस्पात
संयंत्र में कार्य करने वाले कर्मचारी किसी भी दुर्घटना की स्थिति में आर्थिक
तंगहाली के चलते आत्महत्या की स्थिति तक पहुंच जाएगा |
साजिश के तहत शनिवार को दिया नोटिस
शनिवार होने के कारण अस्पताल का
प्रशासनिक कार्यालय केवल डेढ़ बजे तक खुला रहता है | इसकी जानकारी होने के बावजूद
दोपहर 3 बजकर पांच मिनट पर ब्लड बैंक में नोटिस चस्पा कर सील करने की कार्यवाही
किसी बड़ी साजिश का हिस्सा दिखाई देता है | शनिवार का समय चुनने के पीछे का कारण
शनिवार और रविवार दोनों दिन किसी भी प्रकार आ कदम न उठा पाना है | सीटू ने इस पूरे
प्रकरण में गहरी साजिश की संभावना जताई थी जो अब सच साबित होती नजर आ रही है | 28
तारीख को जारी पत्र अस्पताल को नहीं मिलता है और पूरे दस दिनों तक whatsapp में
घूमता है , जबकि किसी सरकारी आदेश को जारी होने के पहले सार्वजनिक नहीं किया जाता
है | यह जांच का विषय है कि यह दस्तावेज किसके फायदे के लिए सार्वजनिक किया गया |
मरीजों ने हस्पताल छोड़ना चालू किया
सेक्टर 9 में डिलीवरी के लिए दाखिल हुए
पुलिस अधिकारी शैलेन्द्र सिंह चौहान की पत्नी को सीजर होने की स्थिति में ब्लड की
अनुपलब्धता के कारण दुसरे हॉस्पिटल में भेजा गया | एक संयंत्र कर्मी की थैलेसिमिया
से पीड़ित पुत्री को एक बजे एक बोतल ब्लड चढ़ाया गया था , उसे दूसरा ब्लड शाम सात
बजे चढ़ाना था लेकिन ब्लड बैंक बंद होने के कारन उसे ब्लड नहीं चढ़ाया जा सका | अब
किसी भी गंभीर परिस्थिति में निजी चिकित्सालय में ले जाने की मजबूरी बन गयी है |
सीटू ने जताया विरोध
सीटू ने ब्लड बैंक
बंद किये जाने का विरोध करने के लिए सेक्टर 9 हॉस्पिटल के सामने प्रदर्शन किया |
यह प्रदर्शन तथा विरोध निलंबन वापस लेने तक लगातार जारी रहेगा |
फोटो सौजन्य - कॉमरेड इश्वर पटेल
फोटो सौजन्य - कॉमरेड टी. जोगाराव